Thursday, August 18, 2016

रक्षाबन्धन की शुरुआत किसने की और क्यों ?

राखी सर्वप्रथम लक्ष्मी जी ने राजा बलि को बांधी थी



ये बात है तब की
जब दानबेन्द्र राजा बलि अश्वमेध यज्ञ करा रहे थे तब नारायण ने राजा बलि को छलने के लिये वामन अवतार लिया और तीन पग में सब कुछ ले लिया।

तब उसे भगवान ने पाताल लोक का राज्य रहने के लिये दे दिया

तब उसने प्रभु से कहा की कोई बात नहीं मैं पाताल लोक में रहने के लिये तैयार हूँ पर मेरी भी एक शर्त होगी

भगवान अपने भक्तों की बात कभी टाल नहीं सकते

बलि ने कहा ऐसे नहीं प्रभु आप छलिया हो पहले मुझे वचन दें कि जो माँगूगा वो आप दोगे

नारायण ने कहा दूँगा दूँगा दूँगा जब त्रिबाचा करा लिया तब बोले बलि कि मैं जब सोने जाऊँ तो जब उँठू तो जिधर भी नजर जाये उधर आपको ही देखूं

नारायण ने अपना माथा ठोका और बोले इसने तो मुझे पहरेदार बना दिया हैं ये सब कुछ हार के भी जीत गया है
पर कर भी क्या सकते थे वचन जो दें चुके थे

ऐसे होते होते काफी समय बीत गया
उधर बैकुंठ में लक्ष्मी जी को चिंता होने लगी नारायण के बिना

उधर नारद जी का आना हुआ

लक्ष्मी जी ने कहा नारद जी आप तो तीनों लोको में घूमते हैं क्या नारायण को कहीं देखा आपने

तब नारद जी बोले की पाताल लोक में हैं राजा बलि के पहरेदार बने हुये हैं

तब लक्ष्मी जी ने कहा मुझे आप ही राह दिखाये की कैसे मिलेंगे

तब नारद ने कहा आप राजा बलि को भाई बना लो और रक्षा का वचन लो और पहले तिर्बाचा करा लेना दक्षिणा में जो माँगूंगी वो देंगे और दक्षिणा में अपने नारायण को माँग लेना

लक्ष्मी जी सुन्दर स्त्री के भेष में रोते हुये पहुँची बलि ने कहा क्यों रो रहीं हैं आप

तब लक्ष्मी जी बोली की मेरा कोई भाई नहीं है, इसलिए मैं दुखी हूँ

तब बलि बोले की तुम मेरी धरम की बहिन बन जाओ और कलावा बँधवा कर रक्षा करने का वचन दिया और कुछ माँगने को कहा

तब लक्ष्मी जी ने तिर्बाचा कराया
और बोली मुझे आपका ये पहरेदार चाहिये

जब ये माँगा तो बलि पीटने लगे अपना माथा और सोचा धन्य हो माता पति आये सब कुछ ले गये और ये महारानी ऐसी आयी कि उन्हें भी ले गयी

तब से ये रक्षाबन्धन शुरू हुआ था
और इसीलिये कलावा बाँधते समय मंत्र बोला जाता है

येन बद्धो राजा बलि दानबेन्द्रो महाबला।
          तेन त्वाम प्रपद्यये रक्षे माचल माचल:।।

ये मंत्र हैं
रक्षा बन्धन अर्थात बह बन्धन जो हमें सुरक्षा प्रदान करे

सुरक्षा किससे

हमारे आंतरिक और बाहरी शत्रुओं से रोग ऋण से

राखी का मान करे

अपनी भाई बहन के प्रति प्रेम और सम्मान की भावना रखे।
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